Hindi, asked by chaurasiasangeeta699, 2 months ago

कवि ने अनार के दाने किसे कहा है​

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Answered by sanjanagujaral685
6

Answer:

हम भूखें प्यासे मर जाना पसंद करेंगे न कि पिंजड़े का गुलामी जीवन जीना। तरू की फुनगी पर के झूले। चुगते तारक-अनार के दाने। व्याख्या - कविता में पंछी कहते हैं कि हमें सोने के पिंजड़े में बंद कर दिया गया है।

Answered by hemantsuts012
1

Answer:

Concept:

कवि - शिवमंगल सिंह सुमन

कविता - हम पंछी उन्मुक्त गगन के

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कवि ने अनार के दाने किसे कहा है

Given:

कवि ने अनार के दाने किसे कहा है

Explanation:

कवि ने अनार के दाने तारों को कहा है|

कवि शिवमंगल सिंह सुमन ने हम पंछी उन्मुक्त गगन के कविता में ने पक्षियों के माध्यम से स्वतंत्रता का जीवन में क्या महत्त्व होता है यह समझाने का प्रयास किया है।

कविता में पक्षी कहते हैं कि हम खुले आसमान में घूमने वाले प्राणी हैं,

हमें पिंजरे में बंद कर देने पर हम अपने सुरीले गीत नहीं गा पाएँगे। हमें सोने के पिंजरे में भी मत रखना, क्योंकि हमारे पंख पिंजरे से टकराकर टूट जाएँगे और हमारा जीवन बर्बाद हो जाएगा। हम स्वतंत्र होकर नदी झरनों का जल पीते हैं, पिंजरे में हम भला क्या खा-पी पाएँगे। हमें गुलामी में सोने के कटोरे में मिले मैदे से ज्यादा, स्वतंत्र होकर कड़वी निबौरी खाना पसंद है।

आगे कविता में पंछी कहते हैं कि पिंजरे में बंद होकर तो पेड़ों की ऊँची टहनियों पर झूला झूलना अब एक सपना मात्र बन गया है। हम आकाश में उड़कर इसकी हदों तक पहुँचना चाहते थे। हमें आकाश में ही जीना मरना है।

अंत में पक्षी कहते हैं कि तुम चाहे हमारे घोंसले और आश्रय उजाड़ दो। मगर, हमसे उड़ने की आज़ादी मत छीनो, यही तो हमारा जीवन है।

#SPJ3

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