कवि ने अपने आने को 'उल्लास' और जाने को ‘आँसू बनकर बह जाना'
क्यों कहा है?
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कवि जहां भी जाता है वहां उल्लास और उमंग भर जाता है और जब वहां से जाता है तब उसके जाने का दुख सब को होता है साथ ही उसे भी होता है इसलिए कवि ने अपने आने को उल्लास और जाने को आंसू बनकर बह जाना कहा है।
धन्यवाद
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कवि ने अपने आने को उल्लास इसलिए कहता है क्योंकि जहाँ भी वह जाता है मस्ती का आलम लेकर जाता है। वहाँ लोगों के मन प्रसन्न हो जाते हैं।
पर जब वह उस स्थान को छोड़ कर आगे जाता है तब उसे तथा वहाँ के लोगों को दुःख होता है। विदाई के क्षणों में उसकी आखों से आँसू बह निकलते हैं।
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