कवि ने अपनी पुत्री का तर्पण किस प्रकार किया?
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कवि ने अपनी पुत्री का तर्पण किस प्रकार किया ?
कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ने अपनी दिवंगत पुत्री के तर्पण करने के लिए अपने पूरे जीवन में कमाए गए सत्कर्मों को अर्पित कर दिया।
कवि निरालाजी का विचार था कि उनकी पुत्री को मृत्यु के बाद सद्गति हो, इसके लिए उन्होंने अपने पूरे जीवन में जो भी सत्कर्म किए थे उन सभी सत्कर्मों को उन्होंने पुत्री के तर्पण के समय अर्पित कर दिया।
हिंदू धर्म में परंपरागत रीति रिवाज के मुताबिक अपने किसी प्रियजन की मृत्यु के बाद श्राद्ध के समय उसका तर्पण किया जाता है ताकि दिवंगत व्यक्ति की आत्मा को शांति मिले। कवि सूर्यकांत त्रिपाठी त्रिपाठी निराला की पुत्री सरोज भी असमय मृत्यु को प्राप्त हो गई थी और पिता निराला ने अपनी पुत्री सरोज के लिए यह अनोखा तर्पण किया था।
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