कवि ने भाग्यहीन किसे कहा है ?
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➲ कवि ने भाग्यहीन उसे माना है जो व्यक्ति धैर्यवान नहीं है अर्थात जिसमें धीरज धारण करने की क्षमता नहीं है, वह व्यक्ति भाग्यहीन है।
व्याख्या ⦂
✎... ‘मनुष्यता’ नामक कविता में कवि मैथिलीशरण गुप्त कहते हैं कि
अतीव भाग्यहीन है, अधीर भाव जो करे
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे
अर्थात वह व्यक्ति बिल्कुल भाग्यहीन है, जो धैर्य धारण करने की क्षमता नहीं रखता। जिसके आचरण में सदैव अधीरता रहती है, वह व्यक्ति भाग्यहीन है। सच्चा मनुष्य वही है जो किसी मनुष्य के काम आए।
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