Hindi, asked by singhgajraj7154, 5 months ago

कवि ने भगवान के डाकिए ने बताया​

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Answered by BharatMandloi
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Bhagwan Ke Dakiye Poem Summary – पाठ का सार

इस कविता में “दिनकर” जी बताते है की पक्षी और बादल भगवान के डाकिए हैं जो एक विशाल देश का सन्देश लेकर दूसरे विशाल देश को जाते हैं। उनके लाये पत्र हम नहीं समझ पाते मगर पेड़-पौधे, जल और पहाड़ पढ़ लेते हैं। यहाँ कवि ने बादलों को हवा में और पक्षियों को पंखो पर तैरते दिखाया है। वे कहते है की एक देश की सुगन्धित हवा दूसरे देश पक्षियों के पंखों द्वारा पहुँचती है। इसी प्रकार बादलों के द्वारा एक देश का भाप दूसरे देश में वर्षा बनकर गिरता है।

Bhagwan Ke Dakiye Poem Explanation – कविता और व्याख्या

पक्षी और बादल, ये भगवान के डाकिए हैं, जो एक महादेश से दूसरे महादेश को जाते हैं।

हम तो समझ नहीं पाते हैं मगर उनकी लाई चिट्ठियाँ पेड़, पौधे, पानी और पहाड बाँचते हैं।

डाकिए: सन्देश देने वाला

महादेश: विशाल देश

चिट्ठियाँ: पत्र

बाँचते: पढ़ना

पक्षी, बादल, हवा इन्हें कोई भी बाँधकर नहीं रख सकता और यह एक महादेश से दूसरे महादेश ऐसे ही एक जगह से दूसरे जगह आते जाते रहते हैं और एक तरह से वहाँ का सन्देश लेकर आते हैं।

हम तो उनकी भाषा को नहीं समझ सकते क्योंकि एक देश से दूसरे देश में बहती हुई हवा सिर्फ महसूस की जा सकती है हम उनके द्वारा लाये गए सन्देशों को समझ नहीं पाते हैं। उनके द्वारा लाए गए यह जो पत्र है पेड़, पौधे, पानी और पहाड़ सब अपने-अपने तरीके से कहकर सुनाते है जैसे एक देश का पानी दारिया बनकर बहता है तो दूसरे देश तक भी पहुँचता है ऐसी ही ऊँचे-ऊँचे पहाड़ जो प्रकृति हैं उन्हें अगर हम देखे दूर से ही नजर आते हैं ऐसा लगता है जैसे झाँक रहे हैं एक देश से दूसरे देश की ओर। इसी तरह से पेड़, पौधे, जब फूलों से भर जाते हैं उनमें एक नई महक पैदा हो जाती है वो भी बिना किसी बंधन के आजादी से बहती है और अपनी खुशबु फैलाती है।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिंदी की पाठय पुस्तक “वसंत-3” में से संकलित “रामधारी सिंह दिनकर” कृत रचित कविता “भगवान के डाकिए” से ली गयी है। इस कविता में कवि पक्षियों और बादलो को भगवान का डाकिया मानते हैं।

व्याख्या – कवि कहते हैं कि आकाश में उड़ते पक्षी और बादल भगवान का सन्देश लेकर आये हुए उसके डाकिए हैं। जो एक देश से दूसरे देश को उड़ते रहते हैं। इन डाकियों का सन्देश हम समझ नहीं पाते। किन्तु जिसके लिए हैं वे समझ जाते हैं। भगवान् बादलों के द्वारा जो सन्देश भेजते हैं उन्हें पेड़-पौधे, पहाड़ और जल अच्छी तरह से पढ़ पाते हैं क्योंकि ये उनके लिए होते हैं।

हम तो केवल यह आँकत हैं कि एक देश की धरती दूसरे देश को सुगंध भेजती है।

और वह सौरभ हवा में तैरते हुए पक्षियों की पाँखों पर तिरता है।

और एक देश का भाप दूसरे देश में पानी बनकर गिरता है।

केवल: सिर्फ

आँकत: अनुमान

धरती: पृथ्वी

सुगंध: खुशबू

सौरभ: खुशबू

पाँखों: पँख

तिरता: तैरता

भाप: वाष्प

कवि कहते हम तो सिर्फ एक अंदाजा ही लगा सकते हैं कि एक देश की धरती, दूसरे देश को खुशबु भेजती है। हम तो सिर्फ इतना ही अंदाजा लगा सकते हैं जब हवा बहती है पक्षी एक देश से दूसरे देश जाते हैं और बादल बरसते हैं इस धरती पर हम तो सिर्फ यह अंदाजा ही लगा सकते हैं कि एक देश की धरती दूसरे देश को अपनी सुगंध अर्थात् खुशबु भेज रही है। और यही हवा के द्वारा खुशबु चारों ओर फैल जाती है कुछ पक्षी अपने साथ लेकर चले जाते हैं, कुछ हवा के साथ ईधर-ऊधर बह निकल जाती है। कवि ने कितने ही सुन्दर कल्पना की है और यह सच्चाई भी है जो हमारे प्रकृति में विद्यमान है जोकि ईश्वर की हमें बहुत बड़ी देन है कि बादल, हवा, पेड़, पक्षी एक जगह से दूसरी जगह अपने सन्देश को लेकर जाते हैं और वही इस सन्देश को समझ पाते हैं। हम इस चीज़ का अंदाजा नहीं लगा सकते। हम तो सिर्फ महसूस कर सकते हैं।

यह तो हम सभी जानते हैं, विज्ञान के विषय में भी पढ़ते है कि जब हमारा तापमान अधिक हो जाता है, तो पानी वाष्प बनकर अर्थात् भाप बनकर ऊपर की ओर उठता है, आसमान में जाता है, वहाँ पर तापमान कम होने के कारण बादलों में समा जाता है वाष्प-कण बन जाते हैं और जब बादल एक जगह से दूसरे जगह जाते है तो वर्षा बनकर बह निकलते है और एक सुन्दर वातावरण में अपनी खुशबु छोडते है। यह एक देश का पानी वाष्प के रूप में दूसरे देश में वर्षा बनकर जो बिखरता है, बरसता है, यह बहुत ही अनोखा दृश्य है। इसे ही कवि ने कहा है कि एक जगह की जो खुशबु है जो पानी है दूसरे देश में जाकर बरसता है और हमारा सन्देश वहाँ पर पहुँचाता है।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिंदी की पाठय पुस्तक “वसंत-3” में से संकलित “रामधारी सिंह दिनकर” कृत रचित कविता “भगवान के डाकिए” से ली गयी है। इस काव्यांश में कवि पूरे विश्व को एक मानते हैं।

व्याख्या – कवि कहते हैं कि हम मनुष्य देश को उसकी सीमाओं से जानते हैं किन्तु प्रकृति किसी सीमा को नहीं जानती। वह अपना वरदान सबको देती है। सुगंध किसी बंधन को नहीं मानते हुए एक देश से दूसरे देश उड़ती जाती है। वही महक पक्षियों के पंखो पर बैठकर इधर से उधर उड़ती रहती है और एक देश से उठी भाप दूसरे देश में वर्षा बनकर बरसती रहती है।

 

Bhagwan Ke Dakiye Poem Question Exercises – प्रश्न अभ्यास

प्र॰1 कवि ने पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए क्यों बताया है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – कवि ने पक्षी और बादल को भगवान् के डाकिए इसलिय माना है क्योंकि ये संदेशो को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुचाने में सहायता करते हैं। बादल शीतलता का सन्देश देते हैं और पक्षी अपने पंखो पर सुगन्धित वायु को लेकर एक देश से दूसरे देश जाते हैं।

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