Hindi, asked by playboykuldeep4, 5 months ago

कवि ने बसंत ऋतु के जिस दृश्य का वर्णन कविता
मे किया है। उसका अपने शब्दो मे
वर्णन किजिए । class 10th

Answers

Answered by Meghatri
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Explanation:

ऋतुएं प्राकृतिक अवस्थाओं के अनुसार वर्ष का छोटा कालखंड है जिसमें मौसम की दशाएं एक खास प्रकार की होती हैं। यह कालखण्ड एक वर्ष को कई भागों में विभाजित करता है जिनके दौरान पृथ्वी के सूर्य की परिक्रमा के परिणामस्वरूप दिन की अवधि, तापमान, वर्षा, आर्द्रता इत्यादि मौसमी दशाएं एक चक्रीय रूप में बदलती हैं। Gregorian calendar के मुताबिक चार ऋतुएं मानी जाती हैं- वसंत (Spring), ग्रीष्म (Summer), शरद (Autumn) और शिशिर (Winter)। लेकिन भारत में चार ऋतुओं का नहीं बल्कि छह ऋतुओं वर्णन किया गया है।

प्राचीन काल में यहां छह ऋतुएं मानी जाती थीं- वसंत (Spring), ग्रीष्म (Summer), वर्षा (Rainy) शरद (Autumn), हेमंत (Pre-Winter) और शिशिर (Winter)। छः ऋतुओं में प्रत्येक ऋतु का चक्र दो-दो महीने का बन जाता है। वैशाख और जेठ के महीने ग्रीष्म ऋतु के होते हैं। आषाढ़ और सावन के महीनों में वर्षा ऋतु होती है। भाद्र और आश्विन के दो महीने शरद् ऋतु के होते हैं। हेमंत का समय कार्तिक और अगहन (मार्गशीर्ष) के महीनों का होता है। शिशिर ऋतु पूस (पौष) और माघ के महीने में उतर आती है, जबकि वसंत का साम्राज्य फाल्गुन और चैत्र के महीनों में होता है। ऋतु वर्णन पर तो महाकवि कालिदास ने पूरी काव्यरचना ही कर डाली थी। ऋतुसंहार महाकवि कालिदास की प्रथम काव्यरचना मानी जाती है, जिसके छह सर्गो में ग्रीष्म से आरंभ कर वसंत तक की छह ऋतुओं का सुंदर प्रकृतिचित्रण प्रस्तुत किया गया है।

ऋतुओं का चक्र फसल, वन, पशु-पक्षियों और भारतीयों को प्रत्येक रूप में प्रभावित करता है। वस्त्र पहनने से लेकर भोजन और देशाटन भी इससे प्रभावित होता है। इस ऋतु की आश्चर्यचकित करने वाली एक अन्य विशेषता भी है। कभी राजस्थान की मरूभूमि जल की बूँद के लिए तरसती है तो चिरापूँजी में वर्षा की झड़ी रूकने का नाम ही नहीं लेती है। जब भारत का दक्षिण भाग गरम रहता है तो उत्तरी भाग शीत से ठिठुर जाता है। कई प्रांत कभी प्रचंड लू में तपने लगते हैं तो दूसरे प्रांतों में पानी को बर्फ में जमा देने वाली ठंड पड़ती है। ऋतुओं का यह चक्र एक ही प्रकार की अनुभूति से बचाता है और बेचैनी के क्षणों को फिर से परिवर्तित कर देता है। कभी धरती तपने लगती है, कभी वर्षा की झड़ी में नहाने लगती है, कभी बर्फ़ की श्वेत चादर ओढ़ लेती है तो कभी वसंत की मादक-मोहक रंगों से सजी धजी नवयौवना बनकर खिलखिलाती है।

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