कवि 'नीड' की पत्नी शीला बस से कार्यालय जाती थी। चूंकि कवि महोदय ने एक माह पूर्व ही मारुति कार ली थी, वह नित्य शाम को ५ बजे अपनी पत्नी को बस अड्डे से लेकर ठीक साढ़े पांच बजे घर पहुंच जाते थे। समय के पूरे पाबंद थे कवि महोदय। उस दिन शीला आधा घंटा पहले वाली बस से अड्डे पर पहुंच गई थी। बस अड्डे पर वह अपने पति की प्रतीक्षा न कर सकी और तुरंत रिक्शा ले कर घर की ओर चल दी। रास्ते में सूरज टाकीज पर उसे अपनी कार मिली जिसे उसका देवर चला रहा था। वह ठीक पांच बजे बस अड्डे पहुंच जाता। शीला बिना समय खोए कार में जा बैठी और ५ बजकर २० मिनट पर घर पहुंच गई जहां बीमार 'नीड़' जी उसकी प्रतीक्षा कर रहे थे। बताइए शीला ने रिक्शे में कितनी देर यात्रा की?
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कवि 'नीड' की पत्नी शीला बस से कार्यालय जाती थी। चूंकि कवि महोदय ने एक माह पूर्व ही मारुति कार ली थी, वह नित्य शाम को ५ बजे अपनी पत्नी को बस अड्डे से लेकर ठीक साढ़े पांच बजे घर पहुंच जाते थे। समय के पूरे पाबंद थे कवि महोदय। उस दिन शीला आधा घंटा पहले वाली बस से अड्डे पर पहुंच गई थी। बस अड्डे पर वह अपने पति की प्रतीक्षा न कर सकी और तुरंत रिक्शा ले कर घर की ओर चल दी। रास्ते में सूरज टाकीज पर उसे अपनी कार मिली जिसे उसका देवर चला रहा था। वह ठीक पांच बजे बस अड्डे पहुंच जाता। शीला बिना समय खोए कार में जा बैठी और ५ बजकर २० मिनट पर घर पहुंच गई जहां बीमार 'नीड़' जी उसकी प्रतीक्षा कर रहे थे। बताइए शीला ने रिक्शे में कितनी देर यात्रा की?
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कवि 'नीड' की पत्नी शीला बस से कार्यालय जाती थी। चूंकि कवि महोदय ने एक माह पूर्व ही मारुति कार ली थी, वह नित्य शाम को ५ बजे अपनी पत्नी को बस अड्डे से लेकर ठीक साढ़े पांच बजे घर पहुंच जाते थे। समय के पूरे पाबंद थे कवि महोदय। उस दिन शीला आधा घंटा पहले वाली बस से अड्डे पर पहुंच गई थी। बस अड्डे पर वह अपने पति की प्रतीक्षा न कर सकी और तुरंत रिक्शा ले कर घर की ओर चल दी। रास्ते में सूरज टाकीज पर उसे अपनी कार मिली जिसे उसका देवर चला रहा था। वह ठीक पांच बजे बस अड्डे पहुंच जाता। शीला बिना समय खोए कार में जा बैठी और ५ बजकर २० मिनट पर घर पहुंच गई जहां बीमार 'नीड़' जी उसकी प्रतीक्षा कर रहे थे। बताइए शीला ने रिक्शे में कितनी देर यात्रा की