कवि नागार्जुन बीज के माध्यम से किसकी बात कर रहे हैं ?
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कवि नागार्जुन बीज के माध्यम से साधारण व्यक्ति की बात कर रहे है | जिस तरह बीज से अंकुर फूटकर पौधा विकसित होता है। एक छोटे से बीच में जीवन की अपार संभावनाएं होती हैं। उसी तरह एक साधारण से व्यक्ति में भी विकास की अपार संभावनाएं होती हैं। यदि एक साधारण व्यक्ति स्वयं को पहचान कर अपने अंदर के गुणों का विकास करें तो वह भी विशाल व्यक्तित्व को हासिल कर सकता है।
जिस तरह एक नन्हा सी बीज अपने अंदर अपार संभावनाएं समेटे हुए रहता है, और उचित मिट्टी, खाद. पानी आदि मिलने पर विशाल वृक्ष का रूप धारण कर लेता है। उसी तरह एक साधारण व्यक्ति भी चाहे तो अपने अंदर की सभानवानओ का पहचान कर एक विशाल व्यक्तित्व को हासिल प्राप्त कर सकता है।
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