History, asked by divujh5633, 1 year ago

कविनागार्जुन के द्वारा लिखा गया यह दंतुरित मुस्कान की कविता को व्याख्या करें

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Answered by kritanshu
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यह दंतुरित मुस्कान के व्याख्या:

अबोध शिशु ! तुम्हारे नेता तो की मुस्कुराहट मरते हुए भी जान डाल देने वाली है | तुम्हारे धूल लिपटे यह ध्यान पैसे लगते हैं जैसे तालाबों से निकलकर कमल मेरी झोपड़ी में खिल गए हो | ओ प्राण स्वरूप ! शिशु संभवत: तुम्हारी ही स्पर्श पाकर मेरे प्राणों का प्रसाण पीछल कर जल बन गया हो | तुम्हारे शरीर को छू कर ऐसा लगता है जैसे शेफाली के फूल झड़ने लगे यानी मन आनंद से झूम उठा | तुम मुझे पहचान सके हो कि मेरा पर्स पर्स पर्स अथवा बबूल जैसा किसी प्रकार का था | यहां पास और बबूल कहने से कवि का आशय कोमल शिशु की तुलना में उसकी अपनी कठोरता से हैं | क्या तुम मुझे एकटक देखते ही रहोगे | यदि तुम थक गए हो तो मैं अपनी नजरें तुम पर से हटा देता हूं | कोई बात नहीं यदि तुम से मेरा परिचय एक बार में ना हो सका | मैं तुम्हारी मां का आभार मानता हूं | जिसके कारण तुम्हारा जीवन संभव हुआ और मैं तुम्हारे नवजीवन को देख और जान पाया | ओ शिशु ! तुम्हारी यह नए-नए दांतो की मुस्कान नए जीवन का संदेश देती है |

Answered by Anonymous
0

HELLO FRIEND..♥️

Ans

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Kabhi Nagarjuna ke dwara likha Yaariyan paise lagte hain jaise tailor Vamsi nikalkar Kamal Meri jhopdi Mein Beh Gaye Ho aap transfer route Shishu sambava Tumhari hai us par Se Pukar Mere prano K Prasanna Ajith Kajal Ban Gaya Hoon Tumhare Sharir ko Chukar Aisa Lagta Hai Jaise Chapali Ke Phool Jane Ja Janeman Anand se jhum Utha .

Thank you..☺️☺️

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