कवि ने ईश्वर को न्यारा क्यों कहा है
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'सब स्वाँसों की स्वाँस में' से कवि का तात्पर्य यह है कि ईश्वर कण-कण में व्याप्त हैं, सभी मनुष्यों के अंदर हैं। जब तक मनुष्य की साँस (जीवन) है तब तक ईश्वर उनकी आत्मा में हैं। ... ऊँचे कुल के गर्व में जीने की संकीर्णता। मनुष्य केवल ऊँचे कुल में जन्म लेने से बड़ा नहीं होता वह बड़ा बनता है तो अपने अच्छे कर्मों से।
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sorry I don't know the answer I am still a child..
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