कवि ने खुशी का भंडार किसे कहा है
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कवि ने खुशी का भंडार किसे कहा है :
कवि ने खुशी का भंडार अपने घर को कहा है।
‘घर की याद’ कविता में कवि कहता है कि...
आज पानी गिर रहा है,
बहुत पानी गिर रहा है,
रात भर गिरता रहा है,
प्राण मन धिरता रहा है,
बहुत पानी गिर रहा है,
घर नजर में तिर रहा है,
घर की मुझसे दूर है जो,
घर खुशी का पूर है जो।
यानी कवि कहता है कि आज बहुत तेज बारिश हो रही है। रात भर वर्षा हो रही है, और उसके मन में, उसकी यादों में उसका घर बस रहा है। उसे अपने घर की याद आ रही है ।बरसते हुए पानी के बीच रात भर वह अपने घर के बारे में सोचता रहा। उसका घर यहां से बहुत दूर है लेकिन वह खुशियों का भंडार है।
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Explanation:
कवि ने खुशी का भंडार किसे कहा है बताइए आंसर
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