Hindi, asked by sujitsinghjaswant424, 4 months ago

कवि ने मा के दुख को प्रामाणिक क्यों कहा है?(कन्यादान कविता के आधार पर लिखिए)​

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Answered by shishir303
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कवि ने माँ के दुखों को प्रामाणिक इसलिए कहा है क्योंकि माँ की बेटी अभी इतनी समझदार नहीं हुई है कि वह अपनी जिम्मेदारियों को संभाल सके। अभी माँ अपनी बेटी का कन्यादान कर रही है। माँ का को चिंता है कि उसकी बेटी को जब पराए घर जाकर जीवन के यथार्थ से सामना करना पड़ेगा, तब वो इन सब परिस्थितियों से कैसे निपटेगी। इसी कारण वह अपनी बेटी को अनेक प्रकार की सीख दे रही है ताकि उसे अपने आने वाली जीवन की कड़वी परिस्थितियों से निपटने में आसानी हो।

वह पुत्री बेटी जिसे उसने बड़े प्यार से पाला पोसा, उसे हम अपने से दूर कर जीवन की कड़वी सच्चाईयों का सामना करने के लिए विदा करना ही माँ का प्रमाणिक दुख है।

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Answered by sourabhkumar6270
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Answer:

उत्तर- विवाह के अवसर पर माँ द्वारा अपनी कन्या को दान में देना उसके | लिए प्रामाणिक दुख था। उसे यह लग रहा था कि वही उसकी | अंतिम पूंजी है। इसके चले जाने के बाद वह खाली हो जाएगी। तब यह किसके साथ अपना दुख बॉट पाएगी |

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