Hindi, asked by pndymanoj1986, 1 month ago

कवि ने पाठकों को वर्तमान में कैसे बढ़ने का संदेश दिया?​

Answers

Answered by thirupathisothuku92
1

Explanation:

निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

दार्शनिक अरस्तू ने कहा है-“प्रत्येक व्यक्ति को उचित समय पर, उचित व्यक्ति से, उचित मात्रा में, उचित उद्देश्य के लिए, उचित ढंग से व्यवहार करना चाहिए।” वास्तव में प्रत्येक प्राणी का संबंध एक-एक क्षण से रहता है, किन्तु व्यक्ति उसका महत्त्व नहीं समझता। अधिकतर व्यक्ति सोचते हैं कि कोई अच्छा समय आएगा तो काम करेंगे। इस, दुविधा और उधेड़बुन में वे जीवन के अनेक अमूल्य क्षणों को खो देते हैं। किसी व्यक्ति को बिना हाथ-पाँव हिलाए संसार की बहुत बड़ी सम्पत्ति छप्पर फाड़कर कभी नहीं मिलती। समय उन्हीं के रथ के घोड़ों को हाँकता है, जो भाग्य के भरोसे बैठना पौरुष का अपमान समझते हैं। जो व्यक्ति श्रम और समय का पारखी होता है, लक्ष्मी भी उसी का वरण करती है। समय की कीमत न पहचानने वाले समय बीत जाने पर सिर धुनते रह जाते हैं। समय निरंतर गतिमान है। इसलिए हमें समय का मूल्य समझना चाहिए। साथ ही समयानुसार काम भी करना चाहिए। सफल जीवन की यही कुंजी है।

(क) जीवन के अमूल्य क्षणों को किस प्रकार के व्यक्ति खो देते हैं? [2]

(ख) भाग्य के भरोसे बैठना पौरुष का अपमान क्यों कहा गया है? [2]

(ग) दार्शनिक अरस्तू के कथन का आशय लिखिए। [2]

(घ) लक्ष्मी किसे प्राप्त होती है? [1]

(ङ) उपर्युक्त गद्यांश के लिए एक उपयुक्त शीर्षक लिखिए। [1]

उत्तर:

(क) जो व्यक्ति यह सोचते हैं कि जब अच्छा समय आएगा तब काम करेंगे, ऐसे अकर्मण्य आलसी लोग जीवन के अमूल्य क्षणों को खो देते हैं।

(ख) भाग्य के भरोसे बैठना पुरुष का अपमान इसलिए है कि बिना हाथ पाँव हिलाये दुनिया में कुछ भी प्राप्त करना असंभव है।

(ग) दार्शनिक अरस्तू ने कहा है-हर एक व्यक्ति के लिए उचित समय पर उचित मात्रा का ज्ञान होना आवश्यक है। तभी हम उचित व्यक्ति से उचित समय पर उचित व्यवहार कर सकते हैं।

(घ) जो व्यक्ति श्रम और समय का पारखी होता है उसी को लक्ष्मी प्राप्त होती है।

(ङ) समय की कीमत

प्रश्न 2.

निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

बहुत घुटन है बंद घरों में, खुली हवा तो आने दो,

संशय की खिड़कियाँ खोल, किरनों को मुस्काने दो।

ऊँचे-ऊँचे भवन उठ रहे, पर आँगन का नाम नहीं,

चमक-दमक, आपा-धापी है, पर जीवन का नाम नहीं

लौट न जाए सूर्य द्वार से, नया संदेशा लाने दो।

हर माँ अपना राम जोहती, कटता क्यों वनवास नहीं

मेहनत की सीता भी भूखी, रुकता क्यों उपवास नहीं।

बाबा की सूनी आँखों में चुभता तिमिर भागने दो।

हर उदास राखी गुहारती, भाई का वह प्यार कहाँ ?

डरे-डरे रिश्ते भी कहते, अपनों का संसार कहाँ ?

गुमसुम गलियों को मिलने दो, खुशबू तो बिखराने दो।

(क) ‘ऊँचे-ऊँचे भवन उठ रहे, पर आँगन का नाम नहीं-पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए। [2]

(ख) सूर्य द्वार से ही क्यों लौट जाएगा? [2]

(ग) आज रिश्तों के डरे-डरे होने का कारण आप क्या मानते हैं? [1]

(घ) ‘तिमिर’ शब्द का अर्थ लिखिए। [1]

(ङ) कवि ने क्या संदेश दिया है? [1]

अथवा

मेरा माँझी मुझसे कहता रहता था

बिना बात तुम नहीं किसी से टकराना।

पर जो बार-बार बाधा बन के आएँ,

उनके सिर को वहीं कुचल कर बढ़ जाना।

जानबूझ कर जो मेरे पथ में आती हैं,

भवसागर की चलती-फिरती चट्टानें

मैं इनसे जितना ही बचकर चलता हूँ,

उतनी ही मिलती हैं, ये ग्रीवा ताने।

रख अपनी पतवार, कुदाली को लेकर

तब मैं इनका उन्नत भाल झुकाता हूँ।

राह बनाकर नाव चढ़ाए जाता हूँ,

जीवन की नैया का चतुर खिवैया मैं

भवसागर में नाव बढ़ाए जाता हूँ।

(क) राह में आने वाली बाधाओं के साथ कवि कैसा व्यवहार करता है? [2]

(ख) कवि ने हमें क्या प्रेरणा दी है? स्पष्ट कीजिए। [2]

(ग) कवि ने अपना माँझी किसे कहा है? [1]

(घ) “उन्नत भाल’ का क्या आशय है? [1]

(ङ) जीवन की नैया का चतुर खिवैया’ किसे कहा गया है? [1]

उत्तर:

(क) कवि कह रहा है कि शहरों में गगनचुंबी इमारतें खड़ी हैं लेकिन आपस में प्रेम, स्नेह, सौहार्द की भावना नहीं है। ऊंची इमारतें हैं लेकिन आंगन बिना प्रेम और स्नेह के सूने हैं।

(ख) जीवन की चमक-दमक और आपाधापी देखकर कवि को लगता है कि सूर्य कह द्वार से ही न लौट जाए।

(ग) आज रिश्तों में प्यार और अपनापन नहीं रह गया है, यही, कारण कवि को रिश्तों के डरे-डरे होने का लगता है।

(घ) अंधकार।

(ङ) कवि ने संदेश दिया है कि आज हम ऊंचे-ऊंचे भवनों में रहकर प्यार, प्रेम, स्नेह और अपनापन खो बैठे हैं।

अथवा

(क) कवि बाधाओं का सिर कुचलकर आगे बढ़ जाता है।

(ख) कवि बाधाओं से न घबराने की प्रेरणा दे रहा है। कवि कहता है कि जितना ही हम बाधाओं से दूर भागते हैं ये हमारा पीछा करती हैं इसलिए निडर होकर हमें बाधाओं का सामना करना चाहिए।

(ग) स्वयं को।

(घ) बड़ी से बड़ी विघ्र बाधाएँ।

(ङ) कवि स्वयं को जीवन की नैया का चतुर खिवैया कहता

खण्ड ‘ख’

प्रश्न 3.

निम्नलिखित में से किन्हीं तीन का निर्देशानुसार उत्तर लिखिए : [1 × 3 = 3]

(क) मुझे अपनी पत्नी और पुत्र की मृत्यु के साथ ही फ़ादर के शब्दों से झरती शांति भी याद आ रही है। (संयुक्त वाक्य में

ihope it's help you

Answered by srupareddy1889
0

patha nayi

Explanation:

please mark has brainlist

Similar questions