कवि ने राधा के माध्यम से आधूनिक मानव की व्यथा को शब्द बदध किया है । इस कथन को स्पष्ट किजिए |
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'कनुप्रिया काव्य में राधा अपने प्रियतम कृष्ण के 'महाभारत' युद्ध के महानायक के रूप में अपने से दूर चले जाने से व्यथित है। वह इस बात को लेकर तरह-तरह की कल्पनाएँ करती है। कभी अपनी व्यथा व्यक्त करती है, तो कभी अपने प्रिय की उपलब्धि पर गर्व करके संतोष कर लेती है। यह व्यथा केवल राधा की ही नहीं है।
कनुप्रिया काव्य के माध्यम से कवि ने आधुनिक मानव की व्यथा को ही शब्दबद्ध किया है, क्योंकि आधुनिक मानव में जिस तरह के भाव उत्पन्न होते हैं, वैसे ही भाव राधा के अंदर उत्पन्न हो रहे हैं।
व्याख्या :
राधा अपने प्रियतम श्रीकृष्ण के स्वयं से दूर चले जाने से बेहद व्यथित हैं। इसी कारण वह तरह-तरह की बातें सोचती रहती हैं। उनके प्रिय जीवन के क्षेत्र में महानायक बनकर उभरे हैं। वह महाभारत युद्ध के सबसे बड़े महानायक हैं और इस बात पर उन्हें अपने प्रिय की उपलब्धि पर गर्व भी होता है, तो अपने प्रियतम के बिछड़ने से उनके मन की व्यथा भी प्रकट होती है। इस तरह वह दोनों तरह के भावों से घिरी हुई हैं।
आज के समाज की भी यही स्थिति है। आधुनिक समय में कर्तव्य की पूर्ति के लिए किसी को अपने परिवार आदि को छोड़कर दूर जाना पड़ता है। ऐसी स्थिति में कभी उनके प्रियजन माता-पिता, पत्नी, पति आदि उनसे बिछोह का दुख भोगते हैं और कभी उन्हें अपने प्रिय की उपलब्धि पर गर्व होता। कभी-कभी लंबा समय संपर्क ना होने पर उनके मन में यह विचार उत्पन्न होता है कि शायद उनके प्रियजन ने उन्हें भुला दिया। इस तरह कनुप्रिया काव्य में राधा के माध्यम से कवि ने आधुनिक मानव की व्यथा की प्रकट की है।