कवि ने स्त्री जीवन का बंधन किसे बताया है?
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ये प्रश्न ‘ऋतुराज’ द्वारा रचित “कन्यादान” कविता से संबंधित है। इस कविता में एक माँ अपनी सयानी बेटी के भविष्य चिंता में उसे अनेक तरह उपदेश और सीख देती ताकि उसकी बेटी कुछ दुनियादारी समझ सके।
कवि के अनुसार पुरूष लोग स्त्रियों को कीमती वस्त्र और मूल्यवान आभूषण देकर भ्रमित कर देते हैं और उन्हें अपने बंधन में बांध लेते हैं। इस तरह वस्त्र-आभूषणों के मोह में पड़कर स्त्रियां अनेक तरह के बंधनों को स्वीकार कर लेती हैं। इससे उनका स्वयं का स्वतंत्र व्यक्तित्व और आत्मविश्वास संकट में पड़ जाता है। पुरुष लोग वस्त्र और आभूषणों के उपहार द्वारा नारी को अपने अधीन करने का प्रयत्न करते हैं। अतः कविता में कवि के अनुसार माँ वस्त्र आभूषण को स्त्री के जीवन के लिए बंधन के समान मानती है।
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‘कन्यादान’ कविता में, माँ की मूल चिंता क्या है?
https://brainly.in/question/13046511
माँ ने वस्त्र और आभूषणों को बताया है
(क) लड़कियों की शोभा
(ख) बहुत आवश्यक वस्तु
(ग) स्त्री के जीवन के बंधन
(घ) सभी की चाहत
https://brainly.in/question/13046520
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