कवि ने स्वयं को लाचार , कमजोर , धोखेबाज क्यो कहा है?
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समाज में जो अनैतिक घट रहा है, उसका विरोध करना उसका कर्तव्य बनता है। ... इस तरह वह स्वयं के साथ और समाज के प्रति अपने कर्तव्य के साथ धोखा करता है। यही कारण है कि कवि ने उसे लाचार, कमचोर तथा धोखेबाज़ कहा है।
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लोग उसकी कमजोरी के कारण उसका फायदा उठाते हैं। वह अपने आप को धोखा देता है और इस तरह समुदाय के प्रति अपने दायित्व का उल्लंघन करता है।
- प्रत्येक व्यक्ति में सामाजिक क्रांति लाने की क्षमता है। वह समाज के कुछ दायित्वों का पालन करता है। अब उस पर अनैतिक सामाजिक प्रवृत्तियों के खिलाफ लड़ने की जिम्मेदारी है।
- वह जोर से चिल्लाने की क्षमता रखता है लेकिन डर के मारे नहीं चुनता है। ऐसा ही व्यक्ति अभिवादन में हाथ उठाता है। वह कुछ भी गलत नहीं करता है, लेकिन वह किसी गलत चीज के खिलाफ भी नहीं बोलता है।
- उसकी अच्छाई भेद्यता बन जाती है। वह बेबस हो गया है। भीड़ के सामने उसे हाथ बढ़ाना चाहिए।
लोग उसकी कमजोरी के कारण उसका फायदा उठाते हैं। वह अपने आप को धोखा देता है और इस तरह समुदाय के प्रति अपने दायित्व का उल्लंघन करता है। इसी कारण कवि ने उन्हें कमजोर, नपुंसक और ठग कहा है।
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