कवि ने स्वयं को पानी मानकर प्रभु को चंदन क्यों माना है ?
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कवि ने स्वयं को पानी मानकर प्रभु को चंदन माना है। रैदास के स्वामी निराकार प्रभु हैं।
कवि ने ऐसा इसलिए कहा है, क्योंकि जिस प्रकार वन में रहने वाला मोर आसमान में घिरे बादलों को देख प्रसन्न हो जाता है, उसी प्रकार कवि भी अपने आराध्य को देखकर प्रसन्न होता है।
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kavi ne swayam ko paani mana hai aur prabhu ko chandan... Aisa isliye kyunki jab chandan ko paani me ghisa jata hai to .
l hope it's help you ✨♥️
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