कवि ने स्वयं को पानी मानकर प्रभु को चंदन क्यों माना है ?
Answers
Answered by
11
कवि ने स्वयं को पानी मानकर प्रभु को चंदन माना है। रैदास के स्वामी निराकार प्रभु हैं।
कवि ने ऐसा इसलिए कहा है, क्योंकि जिस प्रकार वन में रहने वाला मोर आसमान में घिरे बादलों को देख प्रसन्न हो जाता है, उसी प्रकार कवि भी अपने आराध्य को देखकर प्रसन्न होता है।
Answered by
4
Answer:
hiiiiiiii................how are u ??????? kya tum meri meet mai aa skti ho bad porpose nhi h meet ka .....and mujhe tum se baat bhi karni h kyu ki mere paper finish ho gye h isliye .......nice too meet u ...........................love u sisoo....
Explanation:
Similar questions