कवि ने धरती को बांजर समझा क्योंकक
i) धरती पर बहत समय तक फसि नही उगी
ii) धरती रेतीिी थी
iii) धरती पर बोय बीजों म अकर नही फट
iv) बां्या धरती ने पैसे नहीां उगिे
(अ) i और iv
(ब) ii, iii और iv
(स) i, iii और iv
(ि) iii और iv
Answers
(ब) ii, iii और iv
(ि) iii और iv
पन्त ने बचपन में धनवान होने की लालसा में पैसे बोये थे। बहुत समय तक प्रतीक्षा करने पर उनमें से एक अंकुर भी नहीं फूटा तो कवि ने दोष धरती को दिया और उसको बंध्या (बंजर) मान लिया। जब बड़े होने पर उसने सेम के बीज बोये थे। उन पर अगणित फलियाँ उत्पन्न हुईं तो कवि ने समझा उसने गलत बीज बोये थे। पैसा बोकर फसल नहीं उगाई जा सकती। पैसा पेड़ों पर नहीं होता। पैसा बोना ही कवि की गलती थी। उसने धनवान सेठ बनने के लिए पैसे बोये थे। पैसों की आवश्यकता सबको होती है। संसार में लोगों की आवश्यकताएँ पूरा करने के लिए यह जरूरी है। अतः मैं भी पैसा पैदा करना चाहूँगा, किन्तु मैं वह गलती नहीं करूंगा। मैं खेती करूगा, व्यापार करूंगा अथवा कारखाना लगाकर किसी चीज का निर्माण करूंगा। इस प्रकार समाज की आवश्यकताओं की पूर्ति करके मैं धनोपार्जन करूंगा। मैं अपना तथा समाज का जीवन सुखदायक बनाऊँगा।
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