कवि नवर्षा की पहली बंद की अमृत के समान कटाक्योंकि वर्षा
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कवि ने वर्षा की पहली बूंँद को अमृत के समान इसीलिए कहा है क्योंकि वर्षा की पहली बूंद ने बेजान पड़े सूखी धरती को फिर से जगा दिया है। मानो जैसे धरती को नया जीवन मिल गया हो और धरती अपनी खुशी का इजहार चारों तरफ हरियाली फैलाकर देती है। ... वर्षा ऋतु में चारों तरफ हरियाली छा जाती है।
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कवि नवर्षा की पहली बंद की अमृत के समान कटाक्योंकि वर्षा
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