कवि और कविता का नाम लिखते हुए निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए- ' बस सपनों में देख रहे हैं तरु की फुनगी पर के झूले।
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स्वर्ण-श्रृंखला के बंधन में अपनी गति, उड़ान सब भूले, बस सपनों में देख रहे हैं तरू की फुनगी पर के झूले । ... इसमें कवि ने सोने के पिंजरे में बंद पक्षियों की व्यथा का चित्रण किया है। व्याख्या : पक्षी कहते हैं कि सोने की इन जंजीरों में बंधकर हम अपनी स्वाभाविक चाल, उड़ने के ढंग सब भूल गए है।
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