कवि रैदास कैसी भक्ति करना चाहते हैं?
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रैदास की भक्ति सेवक और मालिक के समान है जिस प्रकार सेवक अपने मालिक की भक्ति करता है और अपना पूरा जीवन उस मालिक की भक्ति पे लगा देता है | वैसे ही रैदास की भक्ति करना लोग अपना धर्म मानते है | वह व्यक्ति की आंतरिक भावनाओं और आपसी भाईचारे को ही सच्चा धर्म मानते थे।
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