Hindi, asked by sensangeeta062, 1 month ago

कवि रसखान जी द्वारा रचित कृष्ण महिमा कविता के प्रथम चंद का सारांश लिखो। ​

Answers

Answered by shishir303
7

कवि रखखान द्वारा रचित कविता कृष्ण महिमा के प्रथम छंद का सारांश...

मानुष हौं तो वही रसखानि बसौ ब्रज गोकुल गाँव के ग्वारन।  

जो पसु हौं तो कहा बसु मेरा चरौं नित नंद की धेनु मँझारन।  

पाहन हौं तो वही गिरि को जो धर्यौ कर छत्र पुरंदर कारन।  

जो खग हौं तौ बसेरो करौं मिलि कालिंदी-कूल-कदंब की डारन॥

अर्थात कवि रसखान कृष्ण की भक्ति में प्रेममय होकर कहते हैं कि यदि उन्हें अगले जन्म में मनुष्य योनि में जन्म मिले तो, ब्रज-गोकुल की भूमि में ग्वाल के रूप में जन्म लेना चाहते है, ताकि उन्हे ब्रज भूमि में  ग्वालों के साथ रहने का अवसर मिले और वह उस पवित्र भूमि का आनंद ले सके जहाँ पर कृष्ण ने जन्म लिया और अपना बचपन बिताया।

रसखान कहते हैं यदि उन्हें पशु योनि में जन्म मिले तो भी वह ब्रज-गोकुल की गलियों में ही जन्म लेना चाहते हैं, ताकि उन्हें उन गायों के साथ के बीच रहने करने का सौभाग्य प्राप्त हो सके, जिनके साथ श्रीकृष्ण ने अपना समय बिताया था।

रसखान कहते हैं कि यदि उन्हें पत्थर योनि के रूप में जन्म मिले तो वह गोवर्धन पर्वत का भाग बनना चाहते हैं, जिसे कृष्ण ने अपनी उंगली पर उठाया था और इंद्र के अभिमान को तोड़ दिया था।

कवि रसखान कहते हैं, यदि उन्हे पक्षी के रूप में जन्म मिले तो ब्रज में ही जन्म लेना चाहते हैं ताकि यमुना के तट पर कदम्ब के वृक्ष की डाली पर रह सकें। उसी कदम्ब वृक्ष की डाली पर जिसके नीचे श्रीकृष्ण बंसी बजाया करते थे।

इस तरह कवि रसखान कृष्ण की भक्ति में प्रेम की पराकाष्ठा तक पहुंच कर बृज की गलियों में ही किसी भी रूप में जन्म लेना चाहते हैं, ताकि वह उस भूमि के कण-कण में व्याप्त श्रीकृष्ण की भावना का आनंद ले सकें।

○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○

Similar questions