Hindi, asked by sahuharsh182, 5 months ago

कवि रसखान जीवन परिचय​

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Answered by anitasingh30052
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रसखान का जीवन परिचय

इतिहासकारों के अनुसार रसखान के जन्म को लेकर आज भी काफी मतभेद हैं. रसखान का जन्म 1590 ई. उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के पिहानी में एक मुस्लिम पठान परिवार में माना जाता हैं और कुछ लोगो के मतानुसार दिल्ली के समीप है. इनका वास्तविक नाम सैयद इब्राहिम था. इनके पिताजी का नाम गंनेखां था जो अपने समय के मशहूर कवि थे. जिन्हें खान उपाधि प्राप्त थी. इनकी माता का नाम मिश्री देवी था जो एक समाज सेविका थी.

रसखान का परिवार आर्थिक रूप से संपन्न होने के कारण बचपन बहुत सुख और ऐश्वर्य में बीता. इनका परिवार भगवत प्रेमी था. जिसके कारण बाल्यकाल से ही भक्ति के संस्कार थे. एक बार भागवत कथा का आयोजन हो रहा था. व्यासपीठ से श्रीकृष्ण की लीलाओं का गुणगान हो रहा था और पास में लड्डू गोपाल श्री कृष्ण का सुंदर चित्र रखा हुआ था. रसखान कथा समाप्त होने के बाद भी उस चित्र को देखते ही रहे. कृष्ण भक्ति को अपना जीवन मान चुके रसखान ने गोस्वामी विट्ठलनाथ से शिक्षा प्राप्त की और ब्रज भूमि में जाकर बस गए.

रसखान नाम कैसे पड़ा -

रसखान के नाम को लेकर भी अलग-अलग मत प्रचलित हैं. हजारी प्रसाद द्विवेदी जी ने अपनी रचनाओं में रसखान के दो नाम सैय्यद इब्राहिम और सुजान रसखान लिखे हैं. कुछ लोगों का यह भी मानना हैं कि उन्होंने अपनी रचनाओं में उपयोग करने के लिए अपना नाम रसखान रख लिया था. राजा-महाराजाओं के समय अपने क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के कारण खां की उपाधि दी जाती थी.

रसखान की मृत्यु -

वर्ष 1628 में ब्रज भूमि में इनकी मृत्यु हुई. मथुरा जिले में महाबन में इनकी समाधि बनाई गई हैं.

रसखान की रचनाएँ -

रसखान की रचनाएँ मुख्य रूप से कृष्ण और प्रेम छवि में विभाजित हैं.

खेलत फाग सुहाग भरी -रसखान

संकर से सुर जाहिं जपैं -रसखान

मोरपखा सिर ऊपर राखिहौं -रसखान

आवत है वन ते मनमोहन -रसखान

जा दिनतें निरख्यौ नँद-नंदन -रसखान

कान्ह भये बस बाँसुरी के -रसखान

सोहत है चँदवा सिर मोर को -रसखान

प्रान वही जु रहैं रिझि वापर -रसखान

फागुन लाग्यौ सखि जब तें -रसखान

गावैं गुनी गनिका गन्धर्व -रसखान

Explanation:

hope it will help you

Answered by Anonymous
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Answer:

whats ur name frnd plz bataona

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