कवि रसखान पत्थर के रूप में किसका अंश बनना चाहते हैं
Answers
कवि रसखान पत्थर के रूप में गोवर्धन पर्वत का अंश बनना चाहते हैं।
कवि रसखान कृष्ण के प्रति अपने भक्ति भाव में कहते हैं कि यदि अगले जन्म में मनुष्य के रूप में अगला जन्म मिले तो वह ब्रज के गांव में ग्वाले के रूप में जन्म लेना चाहते हैं, ताकि बस वहां की गायों को चराते हुए कृष्ण की इस पवित्र भूमि पर अपने जीवन बिता सकें। यदि उन्हें पशु के रूप में जन्म मिले तो वह गाय बनकर ब्रज में अपना जीवन बिताना चाहते हैं और यदि उन्हें किसी पत्थर के रूप में जन्म ले तो उस गोवर्धन पर्वत का अंश बनना चाहते हैं, जिस पर्वत को श्री कृष्ण अपनी उंगली पर उठा लिया था। यदि उन्हें पक्षी बनने के रूप में जन्म ले तो वे उस कदम्ब के पेड़ पर निवास करना चाहते हैं, जिस कदम्ब के वृक्ष के नीचे
कृष्ण अपनी लीलाएं रचाया करते थे। इस तरह कवि रसखान प्रतीकों के माध्यम से अपना भक्ति भाव प्रकट करते हैं और वह गोवर्धन पत्थर के अंश के रूप में अपना अगला जन्म चाहते हैं।
Answer:
" पाहन हौं तो वही गिरि को जो धर्यों कर छत्र पुरंदर कारन "
रसखान अपनी उपर्युक्त पंक्ति में उस गिरि गोवर्धन के पत्थर के रूप में उसका अंश बनने का उल्लेख कर रहे है जिसे इंद्र के कारण श्रीकृष्ण ने अपनी अँगुली पर सात दिनों तक धारण किया था | {वस्तुत: यह कथा श्रीमद्भागवत में आती है जिसमें बालक कृष्ण अपने नंदबाबा से कहकर इंद्र की पूजा रुकवा देते है और कहते है कि यह गोवर्धन पर्वत हमारा और हमारी गायों की जीविका का वास्तविक आश्रयदाता है अतएव हमें इसकी पूजा करनी चाहिए | इससे इंद्र की पूजा रुक जाती है और वह कुपित होकर अपने संवर्तक मेघों से घनघोर वर्षा आरंभ करवा देते है | फलस्वरूप सब व्रजवासी कृष्ण की शरण में चले आते है, उनकी रक्षा हेतु श्रीकृष्ण सात दिनों तक गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठिका ऊँगली पर धारण कर लेते हैं | }