कवि सेनापति के अनुसार वसंत के आगमन से प्रकृति के साथ-साथ जन-जीवन में भी परिवर्तन आ रहे हैं। संकलित छंद के आधार पर अपना मत लिखिए।
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सेनापति भक्ति काल एवं रीति काल के सन्धियुग के कवि हैं। इनकी रचनाओं में हिन्दी साहित्य की दोनों धाराओं का प्रभाव पड़ा है जिनमें भक्ति और शृंगार दोनों का मिश्रण है। इनके ऋतु वर्णन में सूक्ष्म प्रकृति निरीक्षण पाया जाता है जो साहित्य में अद्वितीय है। अन्य प्राचीन कवियों की भाँति सेनापति का जीवनवृत संदिग्ध है इनकी जानकारी भी कम प्राप्त है। कवित्त रत्नाकर के छन्द के आधार पर इतना ही ज्ञात है कि ये कान्यकुब्ज ब्राह्मण थे तथा इनके पिता का नाम गंगाधर तथा पितामह का नाम परशुराम दीक्षित था। इनके एक पद 'गंगा तीर वसति अनूप जिन पाई है के अनुसार ये बुलंदशहर जिले के अनूप शहर के माने जाते हैं। सेनापति मुसलमानी दरबारों में भी रह चुके थे। सेनापति के दो मुख्य ग्रंथ हैं- 'काव्य-कल्पद्रुम तथा 'कवित्त-रत्नाकर। जिसकी उपमाएँ अनूठी हैं।
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