कवि स्वयं को किस roop main मानने के लिए aagrah
kaरता है
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कवि स्वयं को अपने अज्ञात प्रियतम का वियोगी और उसकी याद में विकल बताता है। उसकी यह विरह व्यथा उसके गीतों में व्यक्त होती रहती है। इस प्रकार वह अपने रुदन या पीड़ा को भी गीत के रूप में ही प्रकट करता आ रहा है।
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कवि स्वयं को अपने अज्ञात प्रियतम का वियोगी और उसकी याद में विकल बताता है। उसकी यह विरह व्यथा उसके गीतों में व्यक्त होती रहती है। इस प्रकार वह अपने रुदन या पीड़ा को भी गीत के रूप में ही प्रकट करता आ रहा है।
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