Hindi, asked by chandan130012kr, 23 hours ago

"कविता जो कुछ कह रही है उसे सिर्फ वही समझ सकता है जो इसके एकाकीपन में मानवता की आवाज सुन सकता है ।"​

Answers

Answered by vikasbarman272
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पूरा प्रश्न : “कविता जो कुछ कह रही है उसे सिर्फ वही समझ सकता है जो इसके एकाकीपन में मानवता की आवाज सुन सकता है।” इस कथन का आशय स्पष्ट करें। साथ ही, किसी उपयुक्त उदाहरण से अपने उत्तर की पुष्टि करें।

उत्तर : उपर्युक्त अंश प्रगीत और समाज नामक पाठ से लिया गया है I

इसमें कभी अकेलेपन में होते हुए समाज के बारे में सोचते हैं और इसके निर्माण करने की प्रक्रिया को पुनः दोहराने के बारे में सोचते हैं l

कथन का आशय यह है कि कवि को इस एकाकीपन में पीड़ित हो रही मानवता की गूंज एकान्त में सुनाई दे रही है। यदि व्यक्ति अकेला है तो यह ठीक है लेकिन व्यक्ति का आत्मसंघर्ष कभी भी अकेला नहीं है। उसका आत्मसंघर्ष इस समाज में अवश्य प्रतिफलित होता है।

उदाहरण के लिए राम की शक्तिपूजा करने में राम का जो आत्मसंघर्ष हुआ है I वह मूल रूप से उनकी सामाजिक सच्चाई को ही व्यक्त करता है।

दूसरे उदाहरण के तौर पर बच्चन जैसे कई कवि सरल और सपाट निराशा को अलग-थलग करते हुए एक गहरी और आत्म संघर्ष सामाजिक सच्चाई को ही व्यक्त करते हैं।

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#SPJ3

Answered by kritikagarg6119
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Answer:

"कविता जो कुछ कह रही है उसे सिर्फ वही समझ सकता है जो इसके एकाकीपन में मानवता की आवाज सुन सकता है ।"​

उत्तर : उपर्युक्त अंश प्रगीत और समाज नामक पाठ से लिया गया है I

Explanation:

पूरा प्रश्न : “कविता जो कुछ कह रही है उसे सिर्फ वही समझ सकता है जो इसके एकाकीपन में मानवता की आवाज सुन सकता है।” इस कथन का आशय स्पष्ट करें। साथ ही, किसी उपयुक्त उदाहरण से अपने उत्तर की पुष्टि करें।

उत्तर : उपर्युक्त अंश प्रगीत और समाज नामक पाठ से लिया गया है I

इसमें कभी अकेलेपन में होते हुए समाज के बारे में सोचते हैं और इसके निर्माण करने की प्रक्रिया को पुनः दोहराने के बारे में सोचते हैं l

कथन का आशय यह है कि कवि को इस एकाकीपन में पीड़ित हो रही मानवता की गूंज एकान्त में सुनाई दे रही है। यदि व्यक्ति अकेला है तो यह ठीक है लेकिन व्यक्ति का आत्मसंघर्ष कभी भी अकेला नहीं है। उसका आत्मसंघर्ष इस समाज में अवश्य प्रतिफलित होता है।

उदाहरण के लिए राम की शक्तिपूजा करने में राम का जो आत्मसंघर्ष हुआ है I वह मूल रूप से उनकी सामाजिक सच्चाई को ही व्यक्त करता है।

दूसरे उदाहरण के तौर पर बच्चन जैसे कई कवि सरल और सपाट निराशा को अलग-थलग करते हुए एक गहरी और आत्म संघर्ष सामाजिक सच्चाई को ही व्यक्त करते हैं।

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