Hindi, asked by shayaqajamal, 2 months ago

कविता का भावार्थ….
यह मन भूत समान है, दौडै दाँत पसार।
बाँस गाड़ि उतरै चढे, सब बल जावै हार।।
भजै तौ जानि न दीजिए, घेरि-घेरि करि लाव।
या मन कूँ परचाय के, ध्यानहिं माहिं लगाव।।
और कहूँ बिधि दूसरी, सुनियो चित्त लगाय।
राम नाम मन सूँ जपै, चंचलता थकि जाय।।
पवन रुकै जब मन थकै, और दृष्टि ठहराय।
ऐसी साधन साधिए, गुरु गम भेद मिलाय।।
इंद्री रोके मन रुकै, अरु उत्तम बिधि येहु।
चरणदास यों कहत हैं, यह साधन करि लेहु।।
चरणदास​

Answers

Answered by anujparjapati2002
4

hope as me answer thanks

hope as qoustion BRAINLIST

Answered by gm9115382
6

Explanation:

इन पंक्तियों का भावार्थ

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