कविता के भाव -तत्व और शैली-तत्व पर प्रकाश डालिए ?
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भाव -तत्व
कविता भाव-प्रधान होती है। अपने भावों को पाठक के हृदय तक पहुँचाने के लिए कवि वर्ण्य-विषयों के सदृश अन्य वस्तु-व्यापार प्रस्तुत करता है, जैसे-कमल के सदृश नेत्र, चन्द्र-सा मुख, सिंह के समान वीर। इसी को सादृश्य-विधान या अप्रस्तुत-योजना कहते हैं।
शैली-तत्व
काव्य के कला पक्ष से संबंधित इस तत्व को 'शब्द तत्व' भी कहा जाता है। रचनाकार जिस भाषा, जिस रूप और जिस पद्धति से अपनी अनुभूति को अभिव्यंजित करता है, उसे शैली कहा जाता है। इसके अंतर्गत भाषा, शब्द चयन, अलंकारों का प्रयोग, शब्द का उपयोग, साहित्य स्वरूप आदि का समावेश होता है।
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