Hindi, asked by chetnajhanjhot57, 1 month ago

कविता की इस पंक्ति का आशय स्पष्ट करो -रस उ‌ड़ेल कर गा लेती है​

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Answered by pantkaruna135
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c do to up up to to ho ho ho tu to ho ho ho hi hi hi hi gut ke ke pathak ko to

Answered by kalyanijalla376
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कवि परिचय

जीवन परिचय– प्रयोगवादी काव्यधारा के प्रतिनिधि कवि गजानन माधव ‘मुक्तिबोध’ का जन्म मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले के श्योपुर नामक स्थान पर 1917 ई० में हुआ था। इनके पिता पुलिस विभाग में थे। अत: निरंतर होने वाले स्थानांतरण के कारण इनकी पढ़ाई नियमित व व्यवस्थित रूप से नहीं हो पाई। 1954 ई. में इन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से एम०ए० (हिंदी) करने के बाद राजनाद गाँव के डिग्री कॉलेज में अध्यापन कार्य आरंभ किया। इन्होंने अध्यापन, लेखन एवं पत्रकारिता सभी क्षेत्रों में अपनी योग्यता, प्रतिभा एवं कार्यक्षमता का परिचय दिया। मुक्तिबोध को जीवनपर्यत संघर्ष करना पड़ा और संघर्षशीलता ने इन्हें चिंतनशील एवं जीवन को नए दृष्टिकोण से देखने को प्रेरित किया। 1964 ई० में यह महान चिंतक, दार्शनिक, पत्रकार एवं सजग लेखक तथा कवि इस संसार से चल बसा।

रचनाएँ- गजानन माधव ‘मुक्तिबोध’ की रचनाएँ निम्नलिखित हैं

(i) कविता-संग्रह- चाँद का मुँह टेढ़ा है, भूरी-भूरी खाक-धूल।

(ii) कथा-साहित्य- काठ का सपना, विपात्र, सतह से उठता आदमी।

(iii) आलोचना- कामायनी-एक पुनर्विचार, नई कविता का आत्मसंघर्ष, नए साहित्य का सौंदर्यशास्त्र, समीक्षा की समस्याएँ एक साहित्यिक की डायरी।

(iv) भारत-इतिहास और संस्कृति।

काव्यगत विशेषताएँ- मुक्तिबोध प्रयोगवादी काव्यधारा के प्रमुख सूत्रधारों में थे। इनकी प्रतिभा का परिचय अज्ञेय द्वारा संपादित ‘तार सप्तक’ से मिलता है। उनकी कविता में निहित मराठी संरचना से प्रभावित लंबे वाक्यों ने आम पाठक के लिए कठिन बनाया, लेकिन उनमें भावनात्मक और विचारात्मक ऊर्जा अटूट थी, जैसे कोई नैसर्गिक अंत:स्रोत हो जो कभी चुकता ही नहीं, बल्कि लगातार अधिकाधिक वेग और तीव्रता के साथ उमड़ता चला आता है। यह ऊर्जा अनेकानेक कल्पना-चित्रों और फैंटेसियों का आकार ग्रहण कर लेती है। इनकी रचनात्मक ऊर्जा का एक बहुत बड़ा अंश आलोचनात्मक लेखन और साहित्य-संबंधी चिंतन में सक्रिय रहे। ये पत्रकार भी थे। इन्होंने राजनीतिक विषयों, अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य तथा देश की आर्थिक समस्याओं पर लगातार लिखा है। कवि शमशेर बहादुर सिंह ने इनकी कविता के बारे में लिखा है-

“…….. अद्भुत संकेतों से भरी, जिज्ञासाओं से अस्थिर, कभी दूर से शोर मचाती, कभी कानों में चुपचाप राज की बातें कहती चलती है, हमारी बातें हमको सुनाती है। हम अपने को एकदम चकित होकर देखते हैं और पहले से अधिक पहचानने लगते हैं।”

भाषा-शैली- इनकी भाषा उत्कृष्ट है। भावों के अनुरूप शब्द गढ़ना और उसका परिष्कार करके उसे भाषा में प्रयुक्त करना भाषा-सौंदर्य की अद्भुत विशेषता है। इन्होंने तत्सम शब्दों के साथ-साथ उर्दू, अरबी और फ़ारसी के शब्दों का भी प्रयोग किया है।

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