Science, asked by saptakanya, 9 months ago

कविताकंकड़ कविता कविता ​

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Answered by Anonymous
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उठो-उठो ओ स्वदेश, ओ स्वदेश उठो-उठो ।

खुला कभी का प्रभात, खुली सभी और रात,

खेंचा रहा राह कर्म, यत्न करो उठो जुटो ।

छोटा जो आज पड़ा, होगा कल वही बड़ा,

क्या हे जग में असाध्य, साहस यदि क्षीण न हो ।

साहस के शब्द कहो, वीर देश उठो-उठो ।

लाती है कीर्ति नई, अर्जित कर शक्ति नई,

उठो-उठो ओ स्वदेश, ओ स्वदेश उठो-उठो ।

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Brainliest plzz.....

...♥️..

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