कविता का खिलना फूल क्या जाने” पंक्ति का भाव स्पष्ट करें। *
2 अंक
फूल और कविता में कोई समानता नहीं है।
फूल के खिलने की सीमा नहीं है परंतु कविता की है।
फूल और कविता दोनों ही क्षणिक हैं।
फूल के खिलने की सीमा है परंतु कविता शाश्वत है।
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Answer: कविता का खिलना फूल क्या जाने” पंक्ति का भाव है " फूल के खिलने की सीमा है किन्तु कविता शाश्वत है |
- उपरोक्त पंक्ति कवि कुंवरनारायण द्वारा रचित कविता "कविता के बहाने से "
ली गई है | इसमें कवि ने कविता के अवतरण की प्रक्रिया और स्थिति का फूल से तुलनात्मक भाव प्रस्तुत किया है |
कवि का कहना है कि कविता भले ही एक फूल की भांति खिलती हो किन्तु कविता के खिलने को फूल नहीं समझ सकता है | वस्तुत : फूल के खिलते साथ ही उसकी मुरझाने की नियति आरंभ हो जाती है जबकि कविता समस्त सीमा रेखाओं को लांघकर भी रची जा सकती है और चूँकि वो शब्दों द्वारा रची जाती है अतएव उसकी सत्ता अमिट होती है |
यद्यपि कविता एक कवि की कल्पना ही होती है अस्तु उसकी उड़ान एक बालक वृत्ति की भांति उन्मुक्त होती है | जैसे बालक असीम सपने देखता है उसी प्रकार कवि अपने शब्दों के खेल से चराचर को समाहित कर सकता है | फूलों के पास इतना विशाल दायरा नहीं होता वे समय -सीमा से बंधे होते है | फलत: ससीम, असीम को कैसे जान सकता है ?
सही जवाब है...
O फूल के खिलने की सीमा होती है, परंतु कविता शाश्वत है।
स्पष्टीकरण:
कविता का खिलना फूल क्या जाने इस पंक्ति का भाव है कि फूलों के खिलने की सीमा है, परंतु कविता शाश्वत है।
यह पंक्तियां ‘कवि कुंवर नारायण’ द्वारा रचित “कविता के बहाने” शीर्षक कविता से ली गई हैं। इन पंक्तियों के माध्यम से कवि ने कविता के सृजन का महत्व रेखांकित किया है।
कविता का खिलना फूल क्या जाने इस पंक्ति के माध्यम से कवि यह भाव स्पष्ट करता है कि फूलों के खिलने की एक समय-सीमा होती है, परंतु कविता शाश्वत है अर्थात कविता समय-सीमा के बंधन में नहीं बंधी है। फुल क्षणभंगुर होते हैं वह खिलते हैं, कुछ समय तक अपनी सुगंध बिखेरते हैं, और फिर मुरझा कर सूख जाते हैं अर्थात उनका जीवनकाल अल्प समय के लिए होता है। वह समय सीमा के बंधन में नही बंधे हैं, उनका जीवनकाल असीमित नहीं है, वह शाश्वत नहीं है।
कविता शाश्वत है, वह असीमित है। कविता एक बार खिल जाती है, अर्थात सृजित हो जाती है, तो वह अपने भावों की सुगंध असीमित काल तक बिखेरती रहती है, वह कभी नष्ट नहीं होती, वह क्षणभंगुर नहीं है। इसलिये फूल कविता के खिलने के रहस्य को नहीं समझ पाते क्योंकि वह सीमा के बंधन में बंधे हैं जबकि कविता असीम है।
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