Hindi, asked by rimpasharma8, 7 months ago

कविता--काले बादल
कवि--डॉ० नागेश पांडेय संजय

नीले आसमान पर छा कर
काले बादल जल बरसा।
गाँव-शहर छत-छप्पर पर,
खूब बरस अब झमर झमर।

पेड़-पौधों को, धरती को,
नया रंग, नव रूप दिला।
काले बादल, जल बरसा।

मोर मस्त हो नाचेंगे,
फूल बाग में महकेंगे।
आकर अब करतब दिखला,
काले बादल जल बरसा।

इस कविता का सारांश दीजिए


Answers

Answered by sarfarazbhat4556
0

Answer:

please translate English please I am not understanding Hind

Answered by beccaam1102
0

Answer:

प्रकृति की तरह लग रहा है और उसे / उसे हर तरह से समझा रहा है कि वह खुश है और पृथ्वी से संबंधित है और समृद्ध scents और गंभीर रोशनी के साथ।

Explanation:

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