कविता की निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट
lines of the poem.)
(क) अभी राह तो शुरू हुई है
मंज़िल बैठी दूर
है।
उजियाला महलों में बंदी
हर दीपक मजबूर है।
मीभाती है
Answers
Answer:
अपठित गद्यांश काउधित शीर्षक दीजिए
पानी निम्नलिखित पक्तियों को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए
अभी न होगा मेरा अंत
अभी-अभी ही तो आया है
मेरे वन में मृदुल वसंत-
अभी न होगा मेरा अंत।
हरे-हरे ये पात.
डालियाँ, कलियाँ, कोमल गात।
मैं ही अपना स्वप्न- मृदुल-कर
फेरूँगा निद्रित कलियों पर
जगा एक प्रत्यूष मनोहर
प्रश्नः
क.
प्रस्तुत
पंक्तियाँ किस कविता से ली गई है?
ख.कविता की कवि का नाम बताइण
गा. कवि को ऐसा विश्वास क्यों है की उसका अंत नहीं होगा?
घ. प्रस्तुत पक्तियों में कवि किस ऋतु की बात कर रहा है?
इ. 'पात का अर्थ स्पष्ट कीजिए
प्रश्न, निम्नलिखित में से कोई एक पर निबंध लिखिए
5अंक
Explanation:
अपठित गद्यांश काउधित शीर्षक दीजिए
पानी निम्नलिखित पक्तियों को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए
अभी न होगा मेरा अंत
अभी-अभी ही तो आया है
मेरे वन में मृदुल वसंत-
अभी न होगा मेरा अंत।
हरे-हरे ये पात.
डालियाँ, कलियाँ, कोमल गात।
मैं ही अपना स्वप्न- मृदुल-कर
फेरूँगा निद्रित कलियों पर
जगा एक प्रत्यूष मनोहर
प्रश्नः
क.
प्रस्तुत
पंक्तियाँ किस कविता से ली गई है?
ख.कविता की कवि का नाम बताइण
गा. कवि को ऐसा विश्वास क्यों है की उसका अंत नहीं होगा?
घ. प्रस्तुत पक्तियों में कवि किस ऋतु की बात कर रहा है?
इ. 'पात का अर्थ स्पष्ट कीजिए
प्रश्न, निम्नलिखित में से कोई एक पर निबंध लिखिए
5अंक