कविता की पंटिया स्पष्ट कीजिए क) लगे रोशनी की झड़ी झूम ऐसी, निशा की गली मे तिमर राह भूले । don't spam if you not know answer oterwise i will report you
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रोशनी का परचम लहरा दिया
अधेंरों की क्या बिसात रही
रोशनी ने उसको हरा दिया
पूरी बस्तियां सज उठीं
नवेली दुल्हन की तरह
चौराहे चमचमा उठे
नये मनचलों की तरह
अधेंरों की क्या औकात रही
आज रोशनी ने उसको हरा दिया
क्या दम था रोशनी के अन्दर
उसने अधेंरों का निशां मिटा दिया ।
भूल गयीं रोशनी फिर
इक गरीब का आशियां
इक झलक भी न दिखायी उसको
तभी तो उसे रुला दिया
अधेंरों का बन्दी आज भी रहा
उस गरीब का आशियां
तभी तो भेद किया रोशनी ने
उसके घर को भुला दिया
खुशियाँ क्या मनाता वो बदनसीब
दीवाली ने भी उसे रुला दिया
आपका धर्मवीर वर्मा
धन्यवाद
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