Hindi, asked by crystalstar78, 4 days ago

कविता के शीर्षक 'शाम एक किसान है' की सार्थकता स्पष्ट करते ।
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Answered by singh2099kunal
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Explanation:

” सर्वेश्वर दयाल सक्सेना जी ” ने अपनी कविता ” शाम – एक किसान ” की इन पंक्तियों में शाम होने के समय दिखाई देने वाला प्राकृतिक दृश्य का बहुत ही सुंदर वर्णन किया है। कवि के अनुसार , शाम के समय पहाड़ किसी बैठे हुए किसान की तरह दिख रहा है और आसमान उसके सिर पर रखी किसी पगड़ी की तरह दिख रहा है। पश्चिम दिशा में मौजूद सूरज चिलम पर रखी आग की तरह लग रहा है। पहाड़ के नीचे बह रही नदी , किसान के घुटनों पर रखी किसी चादर के सामान प्रतीत हो रही है। पलाश के पेड़ों पर खिले लाल फूल कवि को अंगीठी में जलते अंगारों की तरह दिख रहे हैं। पूर्व में फैलता अंधेरा सिमटकर बैठी भेड़ों के झुंड की तरह प्रतीत हो रहा है। कवि कहता है कि शाम के इस समय चारों तरफ एक मन को हरने वाली शांति छाई हुई है।

कवि ” सर्वेश्वर दयाल सक्सेना जी ” ने अपनी कविता ” शाम – एक किसान ” के इस पद्यांश में शाम के मनोहर सन्नाटे के भंग होने का वर्णन किया है। चारों तरफ छाई शांति के बीच एक दम से एक मोर बोल पड़ता है , उस मोर की आवाज सुन कर ऐसा लगता है जैसे मानो कोई पुकार रहा हो , ‘ सुनते हो ! ’ फिर सारा दृश्य किसी घटना में बदल जाता है , जैसे सूरज की चिलम किसी ने उलट दी हो , जिसके कारण जलती हुई आग बुझने लगी हो और धुंआ उठने लगा हो। कहने का तात्पर्य यह है कि असल में, अब सूरज डूब रहा है और चारों तरफ अंधेरा छाने लगा है।

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