कविता की उड़ान कौन नहीं समझ पाता है आंसर
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"कवि के अनुसार कविता की उड़ान चिड़िया नहीं जानती। चिड़िया कविता की व्यापकता को नहीं समझ पाती। ... इसका कारण यह है कि चिड़िया की उड़ान की सीमा है जबकि कविता की उड़ान की कोई सीमा नहीं होती। चिड़िया बाहर-भीतर, इस घर से उस घर तक उड़कर जाती रहती है जबकि कविता की उड़ान व्यापक होती है।"
कविता की उड़ान कौन नहीं समझ पाता है ?
कविता की उड़ान चिड़िया नहीं समझ पाती, क्योंकि चिड़िया कविता की व्यापकता को नहीं जान पाती। कविता की उड़ान असीमित होती है जबकि चिड़िया की उड़ान सीमित होती है।
व्याख्या :
'कविता के बहाने' कविता में कवि कुंवर नारायण कविता की व्यापकता का वर्णन कर रहे हैं। वह बताते हैं कि कविता के माध्यम से कवि अपनी कविता रूपी पंखों के माध्यम से अपनी कल्पनाओं की असीमित उड़ान उड़ता है। वह अपनी कल्पना के आकाश में असीमित उड़ान भरता है। जहां चिड़िया अपने पंखों के सारे केवल सीमित उड़ान ही भर सकती है, वहीं पर कवि की कल्पना की उड़ान असीमित होती है। उसकी कल्पना की असीमित उड़ान के लिए कविता उसका पंख बनने का कार्य करती है।
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