Hindi, asked by nayabsingh489, 8 months ago

कविता कमी कलाकार, बडे भाई साहब,
प्रियतम
पठित कवताओं के आधार पर सत्याप्त काल
कर्म ही पूजा है​

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Answered by sadhnayadhuvanshi
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Answer:

what is this vsvcsgsgfgshh

Answered by AnitaShyara
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उत्तर⤵

मनुष्य तो भगवान की पूजा करता है यह तो ठीक है इसमें कोई बुराई नहीं है लेकिन क्या कुछ मनुष्य यह जानते हैं कि "कर्म ही पूजा है" अब आप सोचेंगे कि कर्म ही पूजा कैसे हुआ? तो ईश्वर ने स्वयं कहा है कि अगर आप कर्म अच्छे करते हो तो आपको भगवान की पूजा करने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि अच्छे कर्म से बढ़कर कोई बड़ा पूजा नहीं होता हैI इस पूरे धरती पर सबसे बड़ा पूजा है अच्छे कर्म करना अगर आप अच्छे कर्म करते हो तो सबसे बड़ी पूजा करते होI इसलिए भगवान की पूजा करने की जरूरत नहीं है क्योंकि जिस समय आप अच्छे कर्म करते हो आपकी पूजा उसी समय होती है और जो लोग अच्छे कर्म नहीं करते हैं बुरे कर्म करते हैं अब वह पूजा भी करते हैं भगवान की पूजा भी करते हैंI तो उसका कोई अर्थ नहीं हुआ उन्हें फल नहीं मिलेगा उन्हें फल मिलेगा बुरे फल भी बुरा मिलेगाI वह दूसरों के साथ गलत करेंगे तो उनके साथ गलत होगाI अब आप अच्छे कर्म करो और पूजा ना करो तो यह भी मंजूर है क्योंकि पूजा तो आप उसी वक्त करते हो जब आप अच्छे कर्म करते हो और अगर आप अच्छे कर्म नहीं करते और लेकिन भगवान की पूजा करते हो तो आपकी पूजा का कोई अर्थ नहीं आपकी पूजा बेकार है अच्छे कर्म करो और अच्छे फल पाऊंI

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