कविता लेखन वीरांगनाएँ भारत की
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mara ko hind nai aa rahe
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कविता लेखन वीरांगनाएँ भारत की
वीरांगनाएं भारत की
ये है वीरांगनाएं भारत की, कभी न डरती, कभी न रुकती।
जीवन अपनी शर्तों पर है जीती।
युगों - युगों से भारतवर्ष में जन्मी है कन्याएं ,
हार न मानी कभी, कभी न सहा अन्याय ।
एक थी झांसी की रानी लक्ष्मीबाई , " अपनी झांसी नहीं दूंगी "कह खदेड़ा अंग्रेजों को, साथ लिए पुत्र को लड़ी थी वो,
कहर बन कर दुश्मनों पर टूट पड़ी थी वो।
एक थी रानी पद्मावती, मानी न शर्त खिलजी की,
टूट पड़ी थी बिजली सी।
दिखाया अपना उसने जौहर,
खिलजी की दासता से बेहतर समझा गौहर।
एक थी जोधाबाई, अकबर की बेगम,
लहराया था उसने जीत का परचम।
वार दिया स्वयं को देश की खातिर,
हर कला में थी वो शातिर।
ये है वीरांगनाएं भारत की, कभी न डरती, कभी न रुकती।
जीवन अपनी शर्तों पर है जीती।
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