कविता में 'आप पहने हुए हैं कुल आकाश' कहकर लड़की क्या कहना चाहती है?
Class 6 NCERT Hindi Chapter चाँद से थोड़ी-सी गप्पें
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इस कविता में श्री शमशेर बहादुर सिंह ने बाल सुलभ कल्पनाओं का बहुत ही मनोरम वर्णन किया है। बच्चों ने चांद से अनेक ढंग से अपना संबंध जोड़ रखा है। वह चांद को देख कर अनेक कल्पनाएं करते हैं। इस कविता में छोटी लड़की आकाश को चांद का वस्त्र समझती है जिस पर सितारे जड़े हैं। चांद का वस्त्र सभी दिशाओं में फैलता है। उस वस्तु में चांद का केवल गोरा-चिट्टा मुझे दिखता है। कविता के अंत में वह चांद के घटने-बढ़ने को उसकी बीमारी बताती हैं, जो ठीक होने को ही नहीं आती है।
उत्तर:-
'आप पहने हुए हैं कुल आकाश' के माध्यम से लड़की कहना चाहती है कि चांद की पोशाक चारों दिशाओं में फैली हुई है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।
उत्तर:-
'आप पहने हुए हैं कुल आकाश' के माध्यम से लड़की कहना चाहती है कि चांद की पोशाक चारों दिशाओं में फैली हुई है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।
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#यह मेरे अपने शब्द हैं। कहीं से छापा नहीं है।
लड़की कहना चाहती है कि "ए चंद्रमा तुमने तो पूरा आकाश ही वस्त्र स्वरूप धारण किया हुआ है"
लड़की ऐसा इसलिए क रही है क्योंकि चंद्रमा की रोशनी सम्पूर्ण आकाश में फैली हुई है।
#प्रशांत२४IITBHU
लड़की कहना चाहती है कि "ए चंद्रमा तुमने तो पूरा आकाश ही वस्त्र स्वरूप धारण किया हुआ है"
लड़की ऐसा इसलिए क रही है क्योंकि चंद्रमा की रोशनी सम्पूर्ण आकाश में फैली हुई है।
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