कविता में बालक का मन क्या-क्या करने को कहता है? बताइए।
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कवि सुरेंद्र विक्रम ने एक बच्चे की भावनाओं का वर्णन किया है बच्चे का मन बहुत चंचल है अतः वे सूरज बनना चाहता है जिससे मैं आसमान में दौड़ लगा सके अगर सारे ब्रह्मांड की सैर करना चाहता है वह चंद्रमा बनना चाहता है ताकि वह सभी तारों पर अकड़ दिखा सके घर पर भी बच्चे का मन बहुत कंपनी है वह घर पर बाबा बनना चाहता है ताकि वह पूरे परिवार पर दोस्त जमा सकें वे पापा की तरह बड़ी बड़ी मूछें बढ़ाना चाहता है तितलियों की तरह दूर दूर जाना चाहता है वह कोयल बन कर सभी को मीठी मीठी बोली सुनाना चाहता है
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