कविता में ‘चिर तृषित’ कौन है?
Answers
Answered by
0
Answer:
dude please tell me the name of poem So that I can answer your question
Answered by
2
कविता में चिर तृषित जीवन में प्यार से वंचित एक व्यक्ति है, जिसे कभी किसी से प्यार नही मिला है।
’चित तृषित कंठ से तृप्त-विधुर’ हिंदी के महान छायवादी कवि ‘जयशंकर प्रसाद’ द्वारा रचित एक कविता है।
इस कविता में एक व्यक्ति की मनोदशा का वर्णन किया गया है, जिसे जीवन में कभी प्यार नही मिला है। उसने सबसे प्रेम की अकांक्षा की लेकिन वो प्रेम की तलाश में भटकता ही रहा और उसे पग-पग पर तिरस्कृत ही होना पड़ा। कवि में प्रेम और संवेदना के भावों को इस कविता में उड़ेलकर प्रेम से तृषित यानि प्रेम के प्यासे व्यक्ति की मनोदशा का वर्णन किया है।
Similar questions
Geography,
5 months ago
Math,
5 months ago
English,
5 months ago
Math,
10 months ago
Computer Science,
1 year ago