Hindi, asked by rashmirhs713, 10 months ago

कविता में ‘चिर तृषित’ कौन है?

Answers

Answered by prabhleenthind35
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Answer:

dude please tell me the name of poem So that I can answer your question

Answered by shishir303
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कविता में चिर तृषित जीवन में प्यार से वंचित एक व्यक्ति है, जिसे कभी किसी से प्यार नही मिला है।

’चित तृषित कंठ से तृप्त-विधुर’ हिंदी के महान छायवादी कवि ‘जयशंकर प्रसाद’ द्वारा रचित एक कविता है।

इस कविता में एक व्यक्ति की मनोदशा का वर्णन किया गया है, जिसे जीवन में कभी प्यार नही मिला है। उसने सबसे प्रेम की अकांक्षा की लेकिन वो प्रेम की तलाश में भटकता ही रहा और उसे पग-पग पर तिरस्कृत ही होना पड़ा। कवि में प्रेम और संवेदना के भावों को इस कविता में उड़ेलकर प्रेम से तृषित यानि प्रेम के प्यासे व्यक्ति की मनोदशा का वर्णन किया है।

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