कविता में चांद की पोशाक के बारे में क्या कहा गया है
Answers
Answered by
2
Answer:
Explanation
ये प्रश्न 'शमशेर बहादुर सिंह' द्वारा रचित कविता “चाँद से थोड़ी गप्पें” से लिया गया है। 'चाँद की पोशाक चारों दिशाओं में फैली हुई है' का आशय ये है कि आकाश ही चाँद का वस्त्र है, अर्थात चाँद ने आकाश रूपी पोशाक को अपने ऊपर ओढ रखा है। ... चाँद का पूरा शरीर ही आकाश रूपी पोशाक से ढका है।n:
Answered by
2
Answer:
ये प्रश्न 'शमशेर बहादुर सिंह' द्वारा रचित कविता “चाँद से थोड़ी गप्पें” से लिया गया है। 'चाँद की पोशाक चारों दिशाओं में फैली हुई है' का आशय ये है कि आकाश ही चाँद का वस्त्र है, अर्थात चाँद ने आकाश रूपी पोशाक को अपने ऊपर ओढ रखा है। ... चाँद का पूरा शरीर ही आकाश रूपी पोशाक से ढका है।
I hope this will help you.
plz mark me as a brainlist and vote me.
Similar questions
Social Sciences,
1 month ago
Math,
1 month ago
Math,
1 month ago
Computer Science,
3 months ago
History,
11 months ago