Hindi, asked by eshabisht20, 5 hours ago

कविता में चांद की पोशाक के बारे में क्या कहा गया है​

Answers

Answered by jatanjambhulkar
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Answer:

Explanation

ये प्रश्न 'शमशेर बहादुर सिंह' द्वारा रचित कविता “चाँद से थोड़ी गप्पें” से लिया गया है। 'चाँद की पोशाक चारों दिशाओं में फैली हुई है' का आशय ये है कि आकाश ही चाँद का वस्त्र है, अर्थात चाँद ने आकाश रूपी पोशाक को अपने ऊपर ओढ रखा है। ... चाँद का पूरा शरीर ही आकाश रूपी पोशाक से ढका है।n:

Answered by manyababbar349
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Answer:

ये प्रश्न 'शमशेर बहादुर सिंह' द्वारा रचित कविता “चाँद से थोड़ी गप्पें” से लिया गया है। 'चाँद की पोशाक चारों दिशाओं में फैली हुई है' का आशय ये है कि आकाश ही चाँद का वस्त्र है, अर्थात चाँद ने आकाश रूपी पोशाक को अपने ऊपर ओढ रखा है। ... चाँद का पूरा शरीर ही आकाश रूपी पोशाक से ढका है।

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