कविता में कवि ने किसे संबोधित किया है? मुकित की आकांक्षा
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मुक्ति की आकांक्षा: सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
यहाँ चुग्गा मोटा है। यहाँ निर्द्वंद्व कंठ-स्वर है। और पिंजड़ा टूट जाने या खुल जाने पर उड़ जाएगी।
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