Hindi, asked by bshsuudyegeggd5, 4 months ago

कविता में मेघ को ‘पाहुन’ के रूप में चित्रित किया गया है। हमारे यहाँ अतिथि (दामाद) को विशेष महत्त्व प्राप्त है, लेकिन आज इस परंपरा में परिवर्तन आया है। आपको इसके क्या करण नज़र आते हैं, लिखिए।​

Answers

Answered by MissLuxuRiant
1

\huge{\underline{\underline{\boxed{\sf{\purple{Answer ࿐}}}}}}

पहले गाँव अपने-अपने दायरों में सीमित होते थे। गाँववासियों को बाहरी संपर्क बहुत कम होता था। अतः यदा-कदा आने वाले अतिथि का स्वागत भी बड़े मान-सम्मान और उल्लास से होता था। गाँववासियों के पास आवभगत के लिए समय और भाव भी होता था।

आज परिस्थितियाँ तेजी से बदल रही हैं। मनुष्य के बाहरी संपर्क और कार्य बढ़ रहे हैं। हर मनुष्य अधिक-से-अधिक व्यस्त होता जा रहा है। उसका समय व्यक्तिगत स्वार्थ पूरा करने में ही लगने लगा है। यही कारण है कि आज अतिथि-सत्कार की परंपरा का निरंतर ह्रास हो रहा है।

Answered by ItzDazzingBoy
2

Answer:

  • पहले गाँव अपने-अपने दायरों में सीमित होते थे। गाँववासियों को बाहरी संपर्क बहुत कम होता था। अतः यदा-कदा आने वाले अतिथि का स्वागत भी बड़े मान-सम्मान और उल्लास से होता था। गाँववासियों के पास आवभगत के लिए समय और भाव भी होता था।

  • आज परिस्थितियाँ तेजी से बदल रही हैं। मनुष्य के बाहरी संपर्क और कार्य बढ़ रहे हैं। हर मनुष्य अधिक-से-अधिक व्यस्त होता जा रहा है। उसका समय व्यक्तिगत स्वार्थ पूरा करने में ही लगने लगा है। यही कारण है कि आज अतिथि-सत्कार की परंपरा का निरंतर ह्रास हो रहा है।
Similar questions