कवितामेंदानी कवि ने किसेकहाहै?
पड़ोसियों को
स्वतन्त्रता के दीवानों को
सम्बन्धियों को
देशवासियों को
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कवि ने स्वयं को पानी मानकर प्रभु को चंदन माना है। रैदास के स्वामी निराकार प्रभु हैं। ... कवि नेऐसा इसलिए कहा है, क्योंकि जिस प्रकार वन में रहने वाला मोर आसमान में घिरे बादलों को देख प्रसन्न हो जाता है, उसी प्रकार कवि भी अपने आराध्य को देखकर प्रसन्न होता है।
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