Hindi, asked by kunalchoudhary051120, 7 months ago

कविता 'नीति के दोहे' में रहीम जी के अनुसार ज्ञानी व्यक्ति सम्पत्ति का संचय किस लिए करते हैं ? *​

Answers

Answered by shailajavyas
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Answer:  "तरुवर फल नहीं खात है सरवर पियहि न पानि |

               कहि रहीम पर काज हित संपत्ति संचहि सुजान || "

भावार्थ :- रहीमजी कहते है कि पेड़ या वृक्ष अपने फल स्वयं नहीं खाते हैं और सरोवर (तालाब) भी अपना पानी स्वयं नहीं पीते है। इसी तरह अच्छे और सज्जन व्यक्ति भी  दूसरों के कार्य के लिए अर्थात परोपकार या दूसरों की भलाई के लिए संपत्ति को संचित या एकत्रित करते हैं ।

Answered by bhatiamona
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कविता 'नीति के दोहे' में रहीम जी के अनुसार ज्ञानी व्यक्ति सम्पत्ति का संचय किस लिए करते हैं ?

'नीति के दोहे' में रहीम जी के अनुसार ज्ञानी व्यक्ति वृक्ष और तालाब की की तरह होते है , जो हमेशा दूसरों की मदद करते है| जिस प्रकार वृक्ष अपने फल और अपनी छाया सभी प्राणियों को देता है उसी प्रकार तालाब भी अपने जल से सबकी प्यास को भुजाता है|

          ज्ञानी व्यक्ति सम्पत्ति का संचय दूसरों की मदद के लिए करता है| वह परोपकार वाले काम करते है| अपनी सम्पत्ति से दूसरों की भलाई और उनकी जरूरतों को पूरा करते है| ज्ञानी व्यक्ति अपना जीवन दूसरों के लिए जीते है|

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7. नीतिकाव्य परंपरा का परिचय देते हुए उसमें रहीम का स्थान निर्धारित कीजिए।​

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