कविता ' नदी की पुकार ' की आखरी चार पंक्तियों का भावार्थ लिखिए।
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अंतिम चार पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए। उत्तर: कवि मिश्र कहते हैं कि नदी मानव से कह रही है कि जब मैं झरने के रूप में झर-झर कर बह रही थी, तब मेरी सुंदरता ने कितने ही इंसानों के नेत्रों को प्राकृतिक आनंद दिया और जब नदी के रूप में आगे बढ़ी तो किसानों के खेतों में हरियाली आ गई।
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