कविता और बच्चे को सामानांतर रखने के क्या कारण हो सकते हैं ?
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कविता और बच्चे को सामानांतर रखने के निम्नलिखित कारण है:
- कविता और बच्चे दोनों अपने स्वभाव के जीते है , उन्हें कोई नहीं रोक सकता अपने जो उन्होंने करना है।
- खेल-खेल में वे अपनी सीमा, अपने-परायों का भेद भूल जाते हैं।
- जिस प्रकार एक शरारती बच्चा किसी की पकड़ में नहीं आता उसी प्रकार कविता में कुछ बातों को समझना कोशिश करना होता है , वह उसी तरह शरारती बच्चे की बातों की तरह फिसल जाती है|
- बच्चे किसी सीमा को नहीं मानते। उनके लिए कोई अपना-पराया नहीं होता है। सब उनके अपने होते हैं। ऐसे ही कविता के लिए कोई अपना-पराया नहीं होता है। कविता में सब के लिए संदेश होता है|
- जिस प्रकार बच्चों की बहुत सारी कल्पनाएँ होती हैं, वैसे ही कवि की कल्पनाओं का अनंत रूप कविता होती है।
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